Hartalika Teej 2025: तीज व्रत की विधि, शुभ मुहूर्त, पूजन सामग्री और कुछ जरूरी बातें , जानिए पूरी विधि !

Hartalika Teej 2025: हमारे सनातन धर्म में पर्व और त्योहारों में हरतालिका तीज का विशेष महत्व है। हरतालिका तीज 2025 का पर्व महिलाओं के लिए बेहद खास है. यह व्रत श्रावण मास की शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाया जाता है और इसका महत्व पति की लंबी उम्र, वैवाहिक सुख और सौभाग्य से जुड़ा हुआ है. मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती ने कठोर तप कर भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया था. इसलिए महिलाएं इस दिन श्रद्धा और आस्था के साथ व्रत रखकर शिवपार्वती की पूजा करती हैं. अगर आप इस साल व्रत करने जा रही हैं तो पूजा की पूरी सामग्री और विधि पहले से नोट कर लेना जरूरी है, ताकि आपकी पूजा सफल और फलदायी हो सके.

हरतालिका तीज न केवल धार्मिक पर्व है बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व भी रखता है. पूजा सामग्री और विधि की तैयारी पहले से कर लेने से व्रत अधिक सफल और फलदायक बनता है. इस साल 2025 हरतालिका तीज पर अपनी पूजा को पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ संपन्न करें और पति की लंबी उम्र और वैवाहिक सुख की कामना करें.

हरतालिका तीज व्रत की तिथि

तृतीया तिथि प्रारंभ: 25 अगस्त, दोपहर 12:34 बजे

तृतीया तिथि समाप्त: 26 अगस्त, दोपहर 1:54 बजे

व्रत 26 अगस्त 2025 को रखा जाएगा।

हरतालिका तीज पूजा की सामग्री

पूजा में निम्नलिखित चीज़ें आवश्यक हैं

-सिंदूर और हल्दी पति और वैवाहिक सुख के लिए.

-लाल कपड़ा और चुनरी भगवान शिव और माता पार्वती के लिए.

-हलवापूड़ी या मीठा भोग पारंपरिक तीज भोग.

-नारियल और बेलपत्र शिवजी को अर्पित करने के लिए.

-फूलमाला विशेष रूप से गेंदा, गुलाब और तुलसी के फूल.

-दीपक और अगरबत्ती व्रत के दौरान वातावरण पवित्र बनाने के लिए.

-गंगाजल और पंचामृत स्नान और पूजा के लिए.

हरतालिका तीज पूजा विधि

-स्नान और स्वच्छता सुबह जल्दी उठकर शुद्ध मन और शुद्ध शरीर से स्नान करें.

-पूजा स्थल सजाएं लाल कपड़े से पूजा स्थल ढकें, शिव-पार्वती की प्रतिमा या तस्वीर रखें.

-भोग और सामग्री अर्पण हलवापूड़ी, नारियल, बेलपत्र और फूल चढ़ाएं.

-विशेष मंत्र जप ॐ नमः शिवाय और ॐ पार्वतीपतये नमः मंत्रों का उच्चारण करें.

-व्रत का पालन दिनभर निर्जला या हल्का भोजन करके व्रत करें.

-संध्या पूजा शाम को दीपक जलाकर, अगरबत्ती और भजन के साथ व्रत समाप्त करें.

हरतालिका तीज का महत्व

-यह व्रत पति की लंबी उम्र और वैवाहिक सुख के लिए खास माना जाता है.

-मान्यता है कि जो महिलाएं यह व्रत श्रद्धा और निष्ठा से करती हैं, उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है.

-इस दिन माता पार्वती के कठोर तप का स्मरण किया जाता है, जिन्होंने पति भगवान शिव को पाने के लिए कठिन व्रत और उपासना की थी.