Chandrayaan-5 मिशन में अब भारत और जापान आएंगे एक साथ, पीएम मोदी ने किया ऐलान

Tokyo: भारत और जापान के बीच अंतरिक्ष सहयोग को लेकर एक बड़ा ऐलान हुआ है। भारत के चंद्रयान-5 मिशन में अब जापान भी सहयोगी होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को टोक्यो से यह घोषणा की है। बता दें कि भारत और जापान ने शुक्रवार को चंद्रयान-5 मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण कार्यान्वयन समझौते पर हस्ताक्षर किया। यह मिशन दोनों देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) द्वारा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में संयुक्त अन्वेषण के उद्देश्य से संचालित किया जाएगा।

आपको बता दें कि, दरअसल चंद्रयान-5 भारत का अगला चंद्र मिशन होगा, जो चंद्रयान-4 के बाद लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन में भारत एक लैंडर और जापान एक रोवर बनाएगा। खास बात ये है कि यह रोवर अब तक का सबसे भारी चंद्र रोवर होगा। इसे जापान से लॉन्च किया जाएगा। इससे पहले भारत चंद्रयान-4 मिशन पर भी काम कर रहा है, जिसका लक्ष्य चांद से मिट्टी और पत्थरों के नमूने पृथ्वी पर लाना है। चंद्रयान-5 के ज़रिए चंद्रमा की सतह और वातावरण को और बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी। इस संयुक्त मिशन में जापान की अत्याधुनिक तकनीक और भारत का अनुभव मिलकर अंतरिक्ष अनुसंधान को नई दिशा देंगे। ये सहयोग शांति और विज्ञान के उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है। भारत और जापान का यह मिशन सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि रणनीतिक सहयोग का भी प्रतीक है। दोनों देश मानते हैं कि अंतरिक्ष विज्ञान सिर्फ खोज का जरिया नहीं, बल्कि वैश्विक स्थिरता और नवाचार के लिए भी अहम है।

बता दें कि इसरो पहले ही चंद्रयान-6, 7 और 8 की योजनाओं पर काम शुरू कर चुका है। 2023 में भारत ने इतिहास रचते हुए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग की थी। विक्रम लैंडर ने शिवशक्ति प्वाइंट पर उतरकर, प्रज्ञान रोवर के साथ 14 दिनों तक काम किया और चंद्रमा पर कई अहम खोजें कीं। अब भारत अपने खुद के अंतरिक्ष स्टेशन पर भी काम कर रहा है, जिसका पहला मॉड्यूल 2028 तक लॉन्च किया जा सकता है। साथ ही, गगनयान मिशन के तहत भारत जल्द ही अपने अंतरिक्ष यात्रियों को भी स्पेस में भेजने की तैयारी कर रहा है। ऐसे में अब देखना दिलचस्प होगा जब भारत और जापान का यह साझा चंद्र मिशन विज्ञान, तकनीक और दोस्ती का एक नया अध्याय लिखेगा।